आधुनिकता में बिगड़ते सामाजिक रिश्ते/Adhunikta me bigadate samajik rishte
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । रिश्ते समाज के प्रतिबिम्बऔर आधार होते है । रिश्ता ही वह कड़ी है जो परिवार ,समाज और पूरे विश्व को जोड़ कर रखता है । रिश्तो से ही हमें पहचाना और जाना जाता है ,अच्छे रिश्ते हो तो परिवार ,समाज में एक स्थिर सामंजस्य बना रहता है लेकिन अगर रिश्तो में दरार पैदा हो गई तो वह परिवार या समाज तास के पत्तो की तरह बिखर जाता है ।
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Toggleआधुनिकता के दुष्परिणाम
एकल परिवार आधुनिक जीवन शैली हमारे सामाजिक रिश्तो को तितर-बितर करने में कोई कंजूसी नहीं की है । हमारे समाज में पहले संयुक्त परिवार का कांसेप्ट था लेकिन आज के समाज में एकल परिवार का प्रचलन बढ़ता जा रहा है ।
हमारी सरकार ने हम दो हमारे दो का नारा दिया था इस नारे का एक दूसरा भी पहलू है कि हम और सिर्फ हमारे दो के बारे में ही समाज सिमट के रह गया है परिवार में खुशी का पल हो या दुख का पल हो सिर्फ हम अपने दो या चार लोगों के बारे में ही विचार करते हैं ।
समाज या परिवार के अन्य सदस्यों से हमें कोई मतलब नहीं होता है। यहां तक कि परिवार के बीच बुजुर्गों या माता-पिता के स्वास्थ्य की देखभाल और उनकी आवश्यकताओ के बारे में भी हम विचार नहीं करते। जिसने हमें जन्म दिया ,हमारे नाज-नखरे उठाये ,पढाया लिखाया,हमारी छोटी बड़ी आवश्यकताए पूरी करने में अपने खुशियों का गला घोट दिया -उन्हें जब हमारी जरूत की अनुभूति हुई ,हमने उन्हें दरकिनार कर दिया और समाज में दर-दर की ठोकरे खाने के लिए मजबूर कर दिया।
कुंठित मानसिकता और सोच को बढ़ावा देने में आधुनिकता का बहुत बड़ा रोल है इस तरह की मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगो की वजह से समाज और परिवार में छेड़खानी, हत्या, लूट और बलात्कार जैसी घटनाये समाज में तेजी से अपना पैर पसार रही है।
सोशल मीडिया ने बढाई दूरियां
आधुनिकता की चकाचौध को अपनाकर आपराधिक कृत्यों को अंजाम देने के अहम कारणों में है भारतीय संस्कृति को छोड़कर पाश्चात्य संस्कृति की लाइफस्टाइल को अपनाना,पाश्चात्य वस्त्रो को अपनाना ,अश्लील फोटोज और विडियो को देखना ,कुंठित व्यक्तिओ या दोस्तों के साथ रहना,परिवार में संस्कारों की कमी और कभी- कभी अत्याधिक धन का होना भी इस तरह के कुकर्मो को समाज में जन्म देता है।
मादक द्रव्यों ने किया पारिवारिक विखंडन
मादक द्रव्यों का सेवन करने से पारिवारिक और सामाजिक रिश्तो में विखंडन बढ़ता जा रहा है । मादक द्रव्यों के सेवन के कारणों में कभी-कभी पारिवारिक और सामाजिक परिस्थितिया जैसे पति-पत्नी में कलह,तलाक, एकाकी जीवन ,कुसंगति और बच्चो में संस्कारों की कमी काफी हद तक जिम्मेदार है ।
समाज में अधिक प्रचलित मादक द्रव्यों जैसे -शराब का सेवन ,कोकीन, हिरोइन ,गुटखा ,तंबाकू पान आदि का सेवन पारिवारिक तनाव को कम करने ,चिन्ता मुक्त होने ,अतरिक्त एनर्जी को महसूस करने जैसे क्षणिक और भ्रामक सुखो की प्राप्ति के लिए करते है , जब इस प्रकार के क्षणिक सुखो की प्राप्ति में किसी प्रकार की आर्थिक,पारिवारिक और सामाजिक रूकावट पैदा होती है तो यह पारिवारिक और सामजिक विखंडन तथा अन्य अपराधो को जन्म देता है।
आधुनिकता की धुन में स्वास्थ्य से खिलवाड़
आधुनिकता की धुन में हम अपने स्वास्थ्य को खोते जा रहे है जिसका सीधा असर हमारे रिश्तो पर पड़ता है। एक रिसर्च के आकडे बताते है की जापान के लोगो की औसत आयु 80 प्रतिशत से भी अधिक है वही भारत में यह 68 प्रतिशत ही है।
आज हम देर रात को सोते हैं योगाऔर व्यायाम को डेली रूटीन में शामिल नहीं कर कर रहे हैं जिसके वजह से स्ट्रोक, ब्लड प्रेस्सर ,सुगर तथा किडनी फेलौर आदि घटनाओ में तेजी से इजाफा हो रहा है।
हमारा ज्यादा तर समय आज की दुनिया के अत्याधुनिक गैजेट -फेसबुक ,whatsaap ,टीवी या फिर लैपटॉप पर विताते है जिसकी वजह से हमारे अंदर कई विमारियो -जैसे नींद न आना ,असमय चश्मा लग जाना,अवसाद और निराशा से घिरे रहना ,अधिक क्रोध आना इत्यादि के साथ -साथ अपनों को समय न दे पाने के कारण पारिवारिक और सामाजिक विघटन बढ़ता जा रहा है।
समाधान
रिश्तो में प्यार -प्यार ही जीवन की वह कड़ी है जो रिश्तो को जीवंत बनाये रखता है यह प्यार पति-पत्नी,भाई-बहन,माता-पिता प्रेमी-प्रेमिका के बीच अलग -अलग रूपों में आपसी रिश्तो को जोड़े रखता है और समाज और देश के प्रति प्रेम देश भक्ति को इंगित करता है ।
प्यार की वजह से रिश्तो में मिठास बनी रहती है अन्यथा रिश्ते बोझ बन कर रह जाते हैं और जिंदगी भर हम उसे एक जानवर की तरह ढोते रहते हैं।
रिश्तो को अच्छी तरह से निभाने के लिए आपसी समझ और एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना बहुत ही अति आवश्यक है ।
रिश्तो में अगर समझ और एक दूसरे के प्रति सूझबूझ दिखाते हुए सामने वाले के प्रति सम्मान की भावना है तो रिश्तो की गहराइयों को और मजबूत किया जा सकता है। पति -पत्नी के बीच अगर आपसी समझ है एक दूसरे के दिल में सम्मान की भावना है तो तलाक जैसी घटनाये समाज में नहीं घटित होगी , पिता-पुत्र के बीच अगर सम्मान है तो कोई भी माता-पिता अपना बुढ़ापा किसी वृद्ध आश्रम में गुजारने के किये विवश नहीं होगा और वही अगर समाज और देश के प्रति सम्मान की भावना है तो वह समाज और देश की रक्षा के लिए कोई जान भी जोखिम में डालने से नहीं संकोच करेगा।
रिश्तो में अपनापन या अपनत्व की भावना होना आवश्यक है हर कोई चाहता है कि हमारे अंदर क्या चल रहा है सामने वाला हमारा आव -भाव , मुख की आभा को देखकर परख ले ऐसा तभी हो सकता है जब एक दूसरे के प्रति लगाव दिल से हो क्योंकि रिश्ते किसी समझौते के मोहताज नहीं होते।
फीलिंग रिश्तो में वह एहसास और गर्माहट पैदा कर देता है जिससे यह और मजबूत होते चले जाते हैं
रिश्तो की अनुभूति होने पर एक दूसरे की भावनाओं को हम परख लेते हैं और उसी के अनुसार अपनी प्रतिक्रियाएं देते हैं । फीलिंग एक ऐसा इनविजिबल पिलर है जिस पर रिश्तो का पूरा मकान निर्भर करता है। एहसास होने से किसी व्यक्ति को अगर चोट लग जाए या किसी की मृत्यु हो जाए तो उसका दर्द आंखों से झलकता है।
सुख और दुख किसी परिवार या समाज मैं स्थाई नहीं होता और यह मौसम की तरह बदलता रहता है ।
लेकिन आज के समाज में हर कोई भोग वादी होता चला जा रहा है और सुख को अपनाना चाहता है लेकिन अगर कोई दुखी हो जाता है तो बिना उसके कारण जाने उसका परित्याग कर देते हैं , हमें दिलीप कुमार की वह गोपी फिल्म का गाना याद आता है कि “सुख के सब साथी दुख में ना कोय” इसीलिए अगर रिश्तो को समृद्ध बनाना है तो एक दूसरे के सुख के साथ-साथ दुःख में भी साथ देना पड़ेगा।
आज की आधुनिक पीढ़ी में अच्छे संस्कार का पाठ बचपन में ही उनके जीवन में पढाया जाना चाहिए । बड़ो के प्रति आदर ,अतिथि सम्मान और समाज,देश के प्रति उनके जिम्मेदारियो को आज की युवा पीढ़ी में बचपन से ही पिरो देना चाहिए तभी पारिवारिक और सामाजिक रिश्ते मजबूत होगे ।
उपर्युक्त कथन आपको कैसा लगा अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव हम तक कमेंट करके जरूर पहुचाये ।
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