वाराणसी में घूमने के 12 आकर्षक स्थल /Varanasi me ghumane ke 12 akarshak sthal

वाराणसी
वाराणसी या बनारस गंगा नदी के तट पर बसा हुआ भारत का सबसे पुराना शहर माना जाता है। वाराणसी शहर हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जहां देश ही नहीं बल्कि विदेशों से लाखों लोग घूमने और यहां की संस्कृति को समझने के लिए आते हैं । यह शहर प्राचीन समय से ही हिंदुओं की आस्था का केंद्र रहा है और यहां गंगा में डुबकी लगाने से तन और मन दोनों शुद्ध हो जाते हैं । काशी के बारे में ऐसा कहा जाता है की यह नगरी भगवान शिव जी के त्रिशूल पर खड़ी है । वैसे तो काशी में कई मंदिर है परंतु भगवान शिव जी को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर दुनिया के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है ।

काशी विश्वनाथ मंदिर

                काशी विश्वनाथ मंदिर           अगर आप बनारस आए और काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन किए बिना लौटे तो आपकी यह यात्रा अधूरी ही रह जाएगी ।
ऐसा समझिए कि जो कोई भी बनारस आता है वह सबसे पहले काशी विश्वनाथ मंदिर नहीं जाता है क्योंकि यह मंदिर सबसे पवित्र जगह है। यह मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित है देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है रोजाना तकरीबन हजारों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं और पवित्र गंगा स्नान कर मंदिर के दर्शन करते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है ।

 सारनाथ स्तूप 

सारनाथ स्तूप सारनाथ बौद्ध धर्म के 4 प्रमुख स्थलों में से एक है जो वाराणसी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ऐसा कहा जाता है कि भगवान गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद इसी स्थान पर अपना पहला दउपदेश दिया था ।जिसे धर्म चक्र परिवर्तन कहा जाता है विश्व भर से बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग यहां आते हैं पूजा अर्चना कर अपनी भक्ति भावना को प्रकट करते हैं और कई मंदिर भी है जिन्हें आप देख सकते हैं

मणिकर्णिका घाट

मणिकर्णिका घाट गंगा नदी के किनारे स्थित सभी पवित्र घाटों में से एक है जिसके चारों तरफ केवल मंदिर ही मंदिर दिखेगा यह कैसा घाट है जहां 24 घंटे चिता जलती रहती है और लोगो की यह चाहत भी होती है कि उनकी मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर ही हो ,क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यहां जलाए गए शरीर को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है और
उनकी आत्मा जीवन वर्ण के चक्र से सदा के लिए मुक्त हो जाती है और शायद इसलिए भी इस महा शमशान के नाम से भी जाना जाता है।

तुलसी मानस मंदिर..

तुलसी मानस मंदिर यह मंदिर वाराणसी से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस मंदिर का निर्माण कर 1964 में कोलकाता के एक व्यापारी सेठ रतनलाल ने करवाया था इस मंदिर की सभी दीवारों पर श्री रामचरित्र मानस लिखा हुआ है मंदिर में प्रभु श्री राम माता जानकी हनुमान जी माता अन्नपूर्णा एवं भगवान शिव जी विराजमान है वहीं दूसरी मंजिल पर संत तुलसीदास जी विराजमान है ऐसा कहा जाता है कि इसी स्थान पर संत तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की थी इसलिए इसे तुलसी मानस मंदिर कहा जाता है ।

संकट मोचन मंदिर.

संकट मोचन मंदिर संकट मोचन मंदिर, यह मंदिर बनारस के दक्षिण दिशा में स्थित है जो दुर्गा माता मंदिर और नए विश्वनाथ मंदिर की विहत पास है इस मंदिर का निर्माण पंडित रत्न मोहन जी ने 19वीं सदी में करवाया था इस मंदिर को बन्दर मंदिर भी कहते हैं क्योंकि यह आसपास बंदरों की संख्या बहुत ज्यादा है ऐसा माना जाता है कि तुलसीदास जी को इसी स्थान पर पहली बार हनुमान जी का सपना आया था जिसके बाद तुलसीदास जी ने यहीं पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की और बाद में चलकर संकट मोचन मंदिर नाम दिया गया संकट मोचन का अर्थ है दुखों को हरने वाला इसलिए जो कोई इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन के लिए आता है उसे पर हनुमान जी की विशेष कृपा रहती है ।

दुर्गा माता मंदिर

यह मंदिर वाराणसी शहर के रामनगर में स्थित मां दुर्गा को समर्पित है इस मंदिर का निर्माण एक बंगाली महारानी ने 18वीं साड़ी में करवाया था लाल पत्रों से बने इस भव्य मंदिर में मां दुर्गा के अलावा वहां भैरवनाथ मां काली मां लक्ष्मी मां सरस्वती की प्रतिमा है हर समय यहां श्रद्धालुओं को आना जाना लगा रहता है लेकिन नवरात्रि के समय में मां दुर्गा के दर्शन के लिए लोगों की इतनी भी लगती है कि मानो पर रखने की जगह भी ना मिले हर साल सावन के महीने में यह मेला लगता है जो पूरे महीने चलता है ।

अस्सी घाट..

अस्सी घाट बनारस में दक्षिण की ओर गंगा नदी के तट पर स्थित अस्सी घाट बनारस के 84 घाटों में से एक है जिसके नाम की उत्पत्ति 80 और गंगा नदी के संगम से हुई है इस घाट के किनारे कई मंदिर स्थित है और उसी में एक बाबा जगन्नाथ का मंदिर है जहां हर साल मेला लगता है । अगर अब बनारस आए तो शाम 6 बजे अस्सी घाट जरूर जाए ये बहुत ही आकर्षक और मनमोहक दृश्य लगता है ।

चुनार का किला....

चुनार का किला बनारस में घूमने की एक और ऐतिहासिक जगह है चुनार का किला ।  यह किला बनारस से 23 किलोमीटर दूर है इस किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में करवाया गया था यह ऐतिहासिक  किला बहुत ही शानदार है और बनारस में घूमने की अच्छी जगह है ।

दशा अश्वमेध घाट…

दशा अश्वमेध घाट यह घाट अपनी आध्यात्मिकता के कारण जाना जाता है इस स्थान के बारे मे मान्यता  हैं कि यहां पर भगवान वर्मा ने 10 अश्वमेध यज्ञ किया था हिंदू धर्म के लिए यह बेहद ही पवित्र स्थान है इस घाट पर गंगा स्नान करना पवित्र माना जाता है ।

रामनगर किला….

बनारस में स्थित रामनगर किले का निर्माण 1750 में राजा बलवंत सिंह ने मुगल शैली की वास्तुकला में करवाया था इस किले में एक म्यूजियम भी है जिसमें कुछ पुरानी कारे , हाथी दान, दुर्लभ संग्रह, वेशभूषा और कई प्राचीन वस्तुएं रखी हुई है । इसलिए इसको  देखने यहां पर काफी पर्यटक आते हैं।

बनारसी साड़ियो का बाजार…

बानारसी साडीबनारस में घाटों और मंदिरों के अलावा यहां की साड़ियां भी काफी प्रसिद्ध है बनारसी साड़ियां पूरे भारत में बिकती है। और इन्हें आप यहां बनारसी साड़ी बाजार से खरीद सकते हैं यह सिल्क साड़ियों की बहुत बड़ी मार्केट है यहां आपको अच्छी क्वालिटी और अच्छी रेट पर साड़ियां मिल जाएगी।

आने का Best Time…. 

सर्दियों का मौसम यहां घूमने के लिए बेस्ट है इसके अलावा अगर गर्मी में आते हैं या बरसात में आते हैं तो थोड़ा आपको दिक्कत हो सकती है वैसे आप साल भर में कभी भी आ सकते हैं।  

पहुंचे कैसे …

बनारस उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहर है इसलिए यहां तक रेल ,बस और फ्लाइट तीनों की ही सुविधा उपलब्ध है तो आप तीनों ही तरीकों से यहां बहुत ही आसानी से  पहुंच सकते हैं ।

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