क्रोध प्रबंधन: एक महत्वपूर्ण कला /Anger manage kaise kare

Anger
क्रोध, हमारे जीवन में एक सामान्य और प्राकृतिक भावना है जो हम सभी अनुभव करते हैं। हालांकि, इस भावना को सही तरीके से प्रबंधित न करना हमारे लिए और भी कठिनाईयों का कारण बन सकता है। क्रोध का सही से प्रबंधन करना व्यक्ति को शक्तिशाली और स्थिर बना सकता है, जिससे उसका जीवन सकारात्मक रूप से प्रभावित होता है।

क्रोध एक मनोविकार



          क्रोध एक प्रकार का मनोविकार है।  यह हमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरफ से भयंकर क्षति पहुचाता है। क्रोध हमारी सोचने और  समझने की शक्ति को खत्म कर देता है। जब हम  इस भयंकर  मनोविकार से ग्रसित होते है तो हमारा मस्तिष्क चीजो को वैसे ही स्पष्ट नहीं देख पाता जैसे खौलते हुए जल में हम अपना चेहरा नहीं देख पाते। क्रोध उस तेजाब की तरह होता है जो जिस बर्तन में रखा है सबसे पहले उसे ही क्षतिग्रस्त करता है ,सामने वाले को बाद में।

        सामान्यतः जब हमारी इच्छा या सोच के अनुरूप  कोई कार्य नहीं होता है तो वहा पर क्रोध की उत्पत्ति होती है।  इसलिए क्रोध मादक द्रव्य की तरह हमें विचारशून्य ,दुर्बल तथा लकवे की तरह शक्तिहीन कर देता है। जो लोग  इसको अपने आस्तीन में पाल रखे है उनका  विनाश पल-पल होता रहता है।  

क्रोध का कारण

        जब हम दूसरो से अपने आप को  अधिक ज्ञानी या समझदार मानने लगते है और वह कार्य हमारे अनुसार नहीं होता है तो हमें क्रोध आ जाता  है। आवश्यकता से अधिक इच्छा को रखना भी क्रोध का कारण हो सकता है। जैसे आपका बॉस कुछ काम आपको दिया और आप  उसकी इच्छानुसार कार्य को संपादित नहीं कर सके तो वहा पे भी  बॉस को क्रोध आ जाता है।           पूरी नीद न लेना भी इसका कारण हो सकता है क्योकि ऐसा होने पर आप सुबह जल्दी नहीं उठ पायेगे और अपने निश्चित कार्यो को आधे- अधूरे मन से जल्दी – जल्दी करने का प्रयास करेगे और जब इसमें अचानक से कोई व्यवधान आता है तो हम क्रोधित  हो जाते है।      कार्य को खेल की तरह न समझ कर उसको जब हम बोझ समझने लगते है तो भी क्रोध आ जाता है। इसके अलावा क्रोध आने के अन्य कारणों में है -जिम्मेदारी से बचना  ,आलसी प्रवित्ति का होना ,भावनाओ पर नियंत्रण न रख पाना ,किसी कार्य को करने में अपने विवेक का इस्तेमाल न करना। 

क्रोध की पहचान

  •  मुखौटे  का लाल हो जाना या  चेहरा लाल पीला पड़  जाना
  •  आँखों की साइज़ का बढ़ जाना
  • क्रोध से कभी- कभी हम अंदर ही अंदर कुढ़ते रहते है और स्वाभाव  शांत प्रतीत होता है जैसे गहरा जल शांत होता है  लेकिन जल्दी ही यह एक ज्वालामुखी की तरह फूट पड़ता है अगर ऐसा नहीं हुआ तो शरीर की धमनियो और नसों को नुकसान  कर देता  है। 
  • वाणी में कठोरता आ जाना भी क्रोध की पहचान होती है क्योकि इस परिस्थित में व्यक्ति  की बातो में उदंडता,कठोरता ,कडुवाहट आ जाती है। 
  • क्रोधित व्यक्ति घर या सामने उपलब्ध सामानों को तितर-बितर या इधर -उधर फैला देता है। 

क्रोध से हानि 

  • क्रोध से शरीर और मष्तिस्क को  भयंकर नुकसान पहुचता है क्योकि इस अवस्था में हमारे शरीर और मन मष्तिष्क में अनावश्यक संकुचन और विषैले हारमोंस का स्राव होने लगता है। 
  • क्रोधित व्यक्ति का पाचन का बिगड़ जाता है क्योकि इस अवस्था में रक्त की विषैली शर्करा हमारे हाजमे को बिगाड़ देती है 
  • दिल की धड़कन तेज हो जाती है जिससे व्यक्ति के अन्दर स्ट्रोक आने की संभावना को बढ़ा देती है । 
  • उचित-अनुचित कार्य की पहचान न कर पाना
  • उच्च रक्त ताप का बढ़ जाना 
  • क्रोधित अवस्था में व्यक्ति को बार-बार प्यास लगती है क्योकि उसका गला  सूखता रहता है ।  
  • क्रोध होने पर भूख नही लगती है और कुछ भी खाने- पीने का मन नहीं करता है ।   
  • सोचने समझने की शक्ति का ह्रास 
  • इससे हमारी सहन शक्ति कमजोर हो जाती है । 
  •  क्रोध व्यक्ति को तनाव और दुःख देता है । 
  • हमेशा क्रोध में रहने वाले व्यक्ति को रात में नीद अच्छे से नहीं आती है ।  क्रोधित व्यक्ति कब्भी-कभी हिंसक घटनाये  कर बैठता है । 
  •  इससे होने वाले नुकसान के बारे में एक नीतिकार ने कहा है कि  -जिसने क्रोध की आग अपने  चित में लगा रखी हो उसे चिता की क्या आवश्यकता ।  जो लोग रात में क्रोधावस्था में  सोते हैं वह बगल में सांप को सुलाने जैसा होता है, जो कब उसको डंक मार देगा उसे नहीं पता होता है।
  •   क्रोध से नौ  से दस  घंटे की हमारे  शरीर की उर्जा  मात्र बीस  मिनट में ही  ख़त्म  जाती है, जिससे हम अपने आप को दुर्बल  महसूस करते है ।    
  नियंत्रण और इलाज
  • क्रोध को नियंत्रण करने के लिए हमें  गहरी साँस  लेना चाहिए और अपना ध्यान अपनी साँसों पर केन्द्रित करना चाहिए । 
  • अच्छे जगह को याद करना चाहिए और उस खुशनुमावादियो की सैर का विचार अपने मष्तिष्क में लाना चाहिए । 
  • सकारात्मक सोच को अपनाना चाहिए ।  
  • क्रोध आने पर एकांत स्थान पर चले  जाना चाहिए और कुछ समय वही पर व्यतीत करना चाहिए । 
  • अपना मन पसंद संगीत या विडियो देखना या सुनना चाहिए 
  • मादक पदार्थो के सेवन से बचना क्योकि यह शरीर में क्षणिक उत्तेजना को जागृत कर देता है  । 
  • धैर्यवान और संयमित होना  । 
  • ठंडे जल से अपने चेहरे  को धोना चाहिए  । 
  • अपने नजदीकी लोगो से सम्बंधित चीजो के बारे में बात  करे । 
  • हमेशा जिज्ञासु होना चाहिए और कुछ न कुछ दूसरो से सीखने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए । 
  • बहुत ही ज्यादा विकट परिस्थित होने पर मनोचिकित्सक की सलाह लेना चाहिए ।  
             क्रोध प्रबंधन एक प्रकार की कला है। जो लोग इस कला के माहिर होते है ,वे विषम से विषम परिस्थितियो में भी अपने आप को संयमित रखते है और क्रोध से होने वाले पारिवारिक,सामाजिक और आर्थिक रूप से होने वाले नुकसान से अपने आप को बचा लेते है।            ये कथन आपको कैसा लगा ,इसके बारे में अपने सुझाव और विचार कमेन्ट करके हम तक जरूर पहुचाये।   

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