Emergency Movie Thriller/ इमरजेंसी मूवी

Emergency

हिमाचल प्रदेश के मंडी भाजपा संसद बनी अभनेत्री कंगना रनौत अपनी नई ज़िम्मेदारी को लेकर काफी उत्साहित है । उनकी फिल्म Emergency 6 सितंबर 2024 को भारतीय सिनेमाघरों मे रिलीज हो रही है। फिल्म की कहानी के केंद्र मे देश की पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी होगी, जिन्होने देश मे Emergency की घोषणा की थी ।
Emergency” फिल्म एक राजनीतिक ड्रामा है, जो भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध निर्देशक कंगना रनौत द्वारा निर्देशित और अभिनीत की गई है। यह फिल्म भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण समय, अर्थात् 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान की घटनाओं को दर्शाती है। फिल्म की कहानी, चरित्रों और घटनाओं को सात मुख्य बिंदुओं में निम्नलिखित रूप से वर्णित किया जा सकता है:

1. कहानी की पृष्ठभूमि और आपातकाल की घोषणा:

फिल्म की कहानी 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के ऐतिहासिक निर्णय पर आधारित है। आपातकाल का यह दौर भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सबसे विवादास्पद समय माना जाता है, जब नागरिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाए गए, और मीडिया पर सेंसरशिप लागू कर दी गई। फिल्म की शुरुआत में, इंदिरा गांधी का चरित्र (कंगना रनौत द्वारा अभिनीत) उन परिस्थितियों का सामना करता है, जिनके चलते वह आपातकाल लागू करने का निर्णय लेती हैं। कहानी का मुख्य फोकस उस तनावपूर्ण माहौल और राजनीतिक दबाव पर है, जिसमें यह निर्णय लिया गया।

2. इंदिरा गांधी का व्यक्तित्व और नेतृत्व शैली:

फिल्म में इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व और उनके नेतृत्व शैली को गहराई से दिखाया गया है। इंदिरा गांधी को एक सशक्त और निर्णयशील नेता के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो अपने देश के लिए कठिन से कठिन निर्णय लेने से भी नहीं हिचकिचाती हैं। उनके जीवन के निजी और राजनीतिक दोनों पहलुओं को बारीकी से चित्रित किया गया है। फिल्म में इंदिरा गांधी के संघर्ष, उनकी चुनौतियां, और उनका अपने सहयोगियों, विरोधियों, और परिवार के साथ संबंधों का विवरण भी दिखाया गया है।

3. राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और विरोधियों का संघर्ष:

फिल्म में आपातकाल के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं के बीच की प्रतिद्वंद्विता को दिखाया गया है। जयप्रकाश नारायण, जो इंदिरा गांधी के प्रमुख विरोधी थे, उनके आंदोलन और इंदिरा गांधी के खिलाफ संघर्ष का चित्रण फिल्म में प्रमुखता से किया गया है। फिल्म में अन्य प्रमुख विपक्षी नेताओं, जैसे अटल बिहारी वाजपेयी और मोरारजी देसाई के साथ उनके मतभेद और उनके संघर्ष को भी दिखाया गया है। इस संघर्ष के दौरान विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारी और उनके समर्थकों पर की गई कार्रवाई भी फिल्म में महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में प्रस्तुत की गई है।

4. आपातकाल के सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव:

फिल्म में आपातकाल के दौरान भारतीय समाज और संस्कृति पर पड़े प्रभावों को भी बारीकी से दिखाया गया है। मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध, नागरिक अधिकारों का हनन, और आम जनता के बीच व्याप्त डर और असुरक्षा का माहौल फिल्म के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे आपातकाल के इस दौर ने भारतीय समाज को विभाजित किया और लोगों के विचारधाराओं और विश्वासों को चुनौती दी।

5. इंदिरा गांधी का पारिवारिक जीवन:

फिल्म में इंदिरा गांधी के पारिवारिक जीवन को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। उनके बेटे संजय गांधी (जो इमरजेंसी के समय एक प्रमुख राजनीतिक शख्सियत थे) के साथ उनके संबंध, और संजय गांधी के विवादास्पद निर्णय और कार्यों को फिल्म में विशेष रूप से दिखाया गया है। संजय गांधी की भूमिका और उनके कार्यों का प्रभाव फिल्म की कहानी के विकास में महत्वपूर्ण है, और यह दर्शाता है कि कैसे इंदिरा गांधी का निजी जीवन उनके राजनीतिक निर्णयों को प्रभावित करता है।

6. न्यायपालिका और कानून व्यवस्था की स्थिति:

फिल्म में न्यायपालिका और कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। न्यायालयों के कामकाज में हस्तक्षेप, और न्यायाधीशों पर दबाव डालने की घटनाओं को दिखाया गया है। फिल्म में इस बात का भी उल्लेख है कि कैसे आपातकाल के दौरान कानून का दुरुपयोग किया गया, और कई निर्दोष लोगों को बिना किसी ठोस कारण के जेल में डाल दिया गया। न्यायपालिका के संघर्ष और उनकी भूमिका को फिल्म में विशेष महत्व दिया गया है।

7. आपातकाल का अंत और उसकी विरासत:

फिल्म का समापन आपातकाल की समाप्ति और इसके बाद के घटनाक्रम पर होता है। इंदिरा गांधी द्वारा 1977 में चुनाव कराने के निर्णय और उनकी हार का विवरण फिल्म के अंतिम हिस्से में दर्शाया गया है। यह हिस्सा इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि आपातकाल की घटनाओं ने भारतीय राजनीति और समाज पर क्या स्थायी प्रभाव छोड़ा। फिल्म दर्शाती है कि आपातकाल के बाद भारतीय लोकतंत्र कैसे पुनर्जीवित हुआ और जनता ने अपने अधिकारों के लिए फिर से संघर्ष करना शुरू किया।

            “Emergency” एक गंभीर और गहन राजनीतिक ड्रामा है, जो भारत के इतिहास के एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद कालखंड को चित्रित करता है। फिल्म का निर्देशन, अभिनय, और कथा का विकास इस समय की जटिलताओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करता है। फिल्म में इंदिरा गांधी के चरित्र के माध्यम से उस समय की राजनीति, समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया गया है। फिल्म दर्शकों को उस समय के भारत की राजनीतिक जटिलताओं और नैतिक द्वंद्वों का सामना करने के लिए मजबूर करती है, जिससे यह न केवल एक मनोरंजक फिल्म बनती है, बल्कि एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज भी साबित होती है।

फिल्म की कथा में इंदिरा गांधी के नेतृत्व, उनके व्यक्तिगत और राजनीतिक जीवन के संघर्ष, और आपातकाल के दौरान भारतीय समाज पर पड़े प्रभावों का प्रभावशाली चित्रण किया गया है। फिल्म की संवेदनशीलता और उसके प्रस्तुतीकरण के तरीके ने इसे एक प्रभावशाली और विचारोत्तेजक फिल्म बना दिया है, जो दर्शकों को उस समय की घटनाओं और उनके प्रभावों पर सोचने के लिए प्रेरित करती है।

मंडी ( हिमाचल प्रदेश )

1975 -इंदिरा गाँधी के द्वारा 

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