क्या रुपया -पैसा ही सब कुछ है जिंदगी में ?/Kya rupaya-paisa hi sab kuchh hai jeevan me

rupya paisa

आदिकाल से ही पैसा और धन व्यक्ति की सम्पन्नता और प्रतिष्ठा का पर्याय समझा जाता रहा है। रुपया -पैसा बेशक हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है ,पैसे से ही उन तमाम सुख -सुविधाओ को जुटाया जा सकता है जो एक सुखी जीवन जीने  के लिए जरूरी होता है। लेकिन यही रुपया पैसा जब कोई आवश्यकता से अधिक एकत्रित करने में लग जाता है और जो इसे अच्छे से मैनेज करना नहीं सीखा -उसके लिए यही पैसा विनाश का कारण बन जाता है।        अक्सर माना यह जाता है कि अमीर इन्सान वह है जिसके पास बहुत सारा पैसा है लेकिन जिस व्यक्ति के पास पैसे के साथ-साथ दिल से अमीर होता है असल में वही  एक संपन्न और प्रतिष्ठा योग्य व्यक्ति  होता है।

पैसा से क्या खरीदा और क्या नहीं खरीदा जा सकता .

 पैसा हंसी खरीद सकता है मगर ख़ुशी नहीं ,पैसा विस्तर खरीद सकता है मगर नींद नहीं ,पैसा किताबे खरीद सकता है मगर ज्ञान नहीं ,पैसा घडी खरीद सकता है मगर समय नहीं ,पैसा साथी खरीद सकता है मगर एक सच्चा दोस्त नहीं। पैसा खाना खरीद सकता है मगर भूख नहीं। इसलिए पैसा ही जिंदगी में सब कुछ नहीं होता है इससे उपर जिंदगी में इंसानियत ,मान- सम्मान ,रिश्ते –नाते , व्यवहार जरूरी होता है।

     पैसा वस्तुओ की कीमत आकने का एक जरिया मात्र है कभी –कभी पैसे से ही लोग इन्सान की कीमत भी लगाने लगते है । लेकिन यह सच नहीं है। इन्सान की कीमत उसके काम और योग्यता से मापी जानी चाहिए।

हमारे समाज में एक कहावत बहुत ही प्रचलित  है –बाप बड़ा न भैया ,सबसे बड़ा रूपया” , इस कहावत  को अब बदलने की जरूरत है  सामाजिक रिश्तो को पैसे से ज्यादा महत्वपूर्ण माना  जाना चाहिए।

       पैसा जीवन में बेशक  जरूरी है लेकिन रिश्तो से ऊपर कभी नहीं हो सकता है।हमें अपने सामजिक रिश्ते जैसे माँ-बाप ,भाई –बहन ,बेटा -बेटी जैसे रिश्तो को हमेशा पैसे से उपर रखना चाहिए ।

  पहले के लोग अपने मान सम्मान और कर्तव्य के लिए दान में अपना सब कुछ धन और दौलत को न्योछावर कर दिया करते थे। लेकिन आज के समाज में कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहा है । लोग धन के लोभ और लालच में भ्रष्टाचार व् मर्डर तक कर दे रहे है ।

उनकी नजर में अमीर और गरीब एक सामान होते है और उनके साथ एक जैसा व्यवहार करते है यही पर भ्रष्टाचार की उतपत्ति होती है।

यहाँ पर मैथलीशरण गुप्त जी की ये लाइने अतिसुन्दर लगती है –

      सोना पाकर भी क्या सुख से तू ,सोने पावेगी।

 बढ़ती  हुई  लालसा तुझको ,कहा न ले जावेगी।।

पैसा बहुत कुछ है ,लेकिन सब कुछ नहीं :-

   अधिकांश लोग पैसे को ही  सम्पन्नता का आधार मान लेते है।  अधिक से अधिक धन  एकत्रित और छुपा कर रख लेना चाहते है। लेकिन चाहे कोई कितना भी धन संचित कर ले उसके मन में शांति और संतोष नहीं मिलता है ।धन आने पर अक्सर लोग दूसरो का सम्मान करना भूल जाते है और वह निर्धन व्यक्ति से दोस्ती या सम्बन्ध रखने में कतराते  है .ऐसे इंसानों को शायद ये  नहीं पता कि पैसे से सिर्फ वस्तुए खरीदी जा सकती है इससे इज्जत ,मान ,सम्मान ,रिश्ते –नाते नहीं खरीदे जा सकते है। इसलिए हमें रुपये –पैसो से ज्यादा अहमियत इन्शानियत ,रिश्ते नाते और कर्तव्यो आदि को महत्व देना चाहिए ।

   पूज्यनीय चीजे  

 कुछ लोग इस दुनिया में ऐसे भी है जो पैसे को सब कुछ मान लेते है ।उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि दुनिया में अगर पैसा ही सब कुछ होता तो यहाँ हमारे देश में सिर्फ एक ही देवी की पूजा होती वह है –लक्ष्मी देवी ।जीवन में प्रेम की भी महत्ता है इसलिए यहाँ कृष्ण भी पूजे जाते है ।व्यक्ति के जीवन में ज्ञान एक दीपक की तरह काम करता है इसलिए यहाँ सरस्वती की भी पूजा की जाती है ।यहाँ शांति और अहिंसा को सर्वोपरि माना जाता है इसलिए यहाँ गौतम बुद्ध और महावीर भी पूजे जाते है ।सेवा और त्याग के प्रतिरूप ईसामसीह की भी पूजा होती है ।अन्याय को प्रतिकार करने वाले गुरु गोविन्द भी पूजे जाते है और माँ –बाप की सेवा करने वाले स्रवन कुमार भी पूजे जाते है ।

     यह सब पूजा ,अर्चना और उपासना यह सब बताती है कि पैसा  जीवन में बहुत कुछ तो है लेकिन सब कुछ नहीं ।

  पैसा थोड़े समय के लिए सुख तो दे सकता है लेकिन दुःख कम नहीं कर सकता है ।अतः चाहे कुछ भी हो जाये जिस पलड़े में धन दौलत तुलती हो ,वहा कभी इंसानियत को तौला नहीं जा सकता है ।

  “धनवान बने ,गुणवान बने,रूपवान और विद्वान् बने .

लेकिन सबसे उपर एक सच्चे इंसान बने” ..

माइकल जैक्सन –एक उदाहरण

 अगर पैसा ही सब कुछ होता तो माइकल जैक्सन 150 सौ साल जीने की  इच्छा रखने वाला 50 साल तक जाते-जाते जिंदगी से जंग हार गया और 25 जून 2009 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया ।उसने 150 सौ साल जीने के लिए हर संभव सुख सुविधाए बना रखी थी । उसका खाना लेबोरेटरी में टेस्ट होने के बाद खाता था ,उसके स्वास्थ्य की देख भाल के लिए 12 डॉक्टर्स की टीम हमेशा उसके साथ रहती थी .किसी से मिलना होता था तो बिना मास्क के नहीं मिलता था .इसकी अंतिम यात्रा को 2.5 अरब लोगो ने live देखा था और 3:15 pm पर पहली बार विकिपीडिया ,google और twitter क्रेश हो गया था ।

न खरीदी जाने वाली चीजे

दोस्तों पैसे से बहुत अपने सुख सुविधा की चीजे खरीद सकते है.पैसा बहुत कुछ है जिंदगी में, मेरी भी दिनचर्या पैसे से ही शुरू होती है मेरी  बहुत सारी जरूरते और जिम्मेदारियाँ  पैसे से पूरी होती है मै  इस कथन को बिलकुल भी सत्य नहीं मानता कि पैसे के बल पर दुनिया की हर चीज को खरीदा जा सकता है  कुछ चीजे ऐसी होती है जिसको व्यक्ति चाहे अपनी पूरी धन दौलत लुटा दे तब भी नहीं खरीद सकता है वह है –

विश्वास

विश्वास क्या  है ।विश्वास वह है जो एक व्यक्ति के ह्रदय में उत्पन्न होती है दूसरे व्यक्ति के लिए ।विश्वास को किसी मूल्य से आंकना उतना ही मुश्किल है जितना कि साँसे उधार लेना ।यह एक ऐसी चीज है अगर यह खो जाये या टूट जाये तो वापस कभी नहीं आता है ।आपके पास चाहे कितना ही धन हो अगर आप किसी का विश्वास तोड़ दिया या आपके किसी अनर्गल कार्य की वजह से आपके उपर से लोगो का विश्वास उठ गया तो चाहे कितना भी धन खर्च कर लो खोया विश्वास  कभी वापस नहीं आ सकता है । क्या आप उस आतंकवादी या लुटेरे पर विश्वास करेंगे जिसके पास अनाप-शनाप ढेर सारे पैसे हैं या आप उस कर्मचारी पर विश्वास करेंगे जो धोखाधड़ी करता है या आप उस मालिक पर विश्वास करेंगे जो झूठे वादे करता है ,नहीं दोस्तों अगर आपका विश्वास अगर किसी पर से एक बार उठ गया तो वह दोबारा कभी नहीं बना पाएंगे। विश्वास एक ऐसी चीज है जो खरीदी नहीं जा सकती यह तो अपने आप उत्पन्न होती है।

योग्यता

योग्यता  एक ऐसी चीज है जिसकी कोई कीमत नहीं लगा सकता है आप योग्य व्यक्ति को खरीद सकते हैं लेकिन उसकी योग्यता को नहीं क्या आप उसकी योग्यता को अपने अंतर्मन में अपना सकते हैं नहीं कभी नहीं . हम सभी जानते हैं कि दुनिया में बहुत सारे कार्यालय हैं वहां पर बहुत सारे कर्मचारी भी हैं लेकिन हम वहां पर उनकी क्षमता का आकलन उनके वेतन से करते हैं । उनकी कार्यक्षमता को हम अपने में नहीं अपना सकते। बहुत सारे विद्यालय हैं विश्वविद्यालय हैं जहां पर  विभिन्न प्रकार के अध्यापक अध्यापन कार्य को अंजाम दे रहे हैं क्या आपने सोचा है  कि क्या जरूरत है इतने विभिन्न विषयों के अध्यापकों को रखने की और उन्हें वेतन देने की।  वेतन हम उनकी योग्यता को देते हैं उनकी योग्यता को कभी खरीद नहीं सकते।

सम्मान

बहुत से लोग कहते हैं कि मेरा हर जगह सम्मान है या मेरे पास बहुत सारा धन है इसलिए मुझे सब तरफ सम्मान मिलता है लेकिन यह सब गलत है पैसे वाले का सम्मान नहीं बल्कि उसके पैसे का सम्मान होता है इस भौतिक युग में लोग कुर्सी को सलाम करते हैं व्यक्ति को नहीं यह एक कड़वी सच्चाई है कि वही व्यक्ति अगर कंगाल हो जाए तो उसे कोई नहीं पूछेगा तब वह सम्मान और इज्जत कहां जाता है कुछ पल भी नहीं लगेंगे उसे सम्मान और इज्जत को खोने में  में क्योंकि सम्मान आपकी योग्यता, कार्य का और आपके व्यवहार का होता है पैसे से तो सिर्फ चापलूसी होती है . हम अपने आप से खुद पूछ सकते हैं कि हम किसका कितना सम्मान करते हैं। ऐसा बहुत बार होता है कि लोग किसी का सम्मान उसके मुंह पर तो करते हैं लेकिन उसके जाने के बाद उसके बारे में कुछ अलग ही टिप्पणी होती है इसलिए दोस्तों मैं यहां पर बताना चाहता हूं कि सम्मान पैसे से नहीं खरीदा जा सकता यह आपके आचार विचार और व्यवहार से बनाया जा सकता है।

सच्ची ख़ुशी

क्या हम सब को यह लगता है कि इस संसार की खुशियां पैसे से मिलती हैं धन दौलत से मिलती हैं  पैसे से ढेर सारे सामान खरीदे जा सकते हैं पैसे से सुकून और शांति को नहीं खरीदा जा सकता है अर्थात एक सच्ची खुशी नहीं खरीदी जा सकती। पैसे से आप अपने इर्द-गिर्द भीड़ तो इकट्ठा कर सकते हैं लेकिन हकीकत में आपके दिल का हाल पूछने वाला उनमें से कोई नहीं होगा। आज भाई -भाई पैसे के लिए आपस में लड़ रहे हैं पैसो के पीछे हम अपने को अपने लोगों को छोड़ते जा रहे हैं हम सांसारिक सुखों के पीछे भाग रहे हैं धन दौलत के पीछे भाग रहे हैं हम  अपने लोगो को  नहीं पाना चाहते अपनों के प्यार को नहीं पाना  चाहते।  बस पैसे के पीछे भाग रहे है. हमें यह नहीं कह रहे हैं कि पैसा नहीं कमाना चाहिए लेकिन पैसे को खुदा नहीं मानना चाहिए। पैसे के पीछे पागल हम क्यों हैं पैसे से हमें वह सुकून शांति और खुशियां कभी नहीं मिल सकती जो हमें अपनों से मिलती है।

 कुछ लोग पैसे को ही अपना goal  समझते हैं और काम को एक जरिया। जबकि होना चाहिए इसका उल्टा मतलब आप का गोल आपका कार्य या  वर्क होना चाहिए पैसा तो एक जरिया होना  चाहिए। हमें अपने कार्य की कद्र करना चाहिए। अगर हम उतना ही काम करेंगे जितना हमें पैसा मिलता है  तब हम एक लिमिट में बंधकर रह जाएंगे।  जीवन में कुछ एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी करना है तो हमें कार्य को एक  नंबर पर रखना पड़ेगा और  मनी को दूसरे नंबर पर।  इसलिए रोज हमें अपने बिस्तर पर जाने से पहले अपने दिमाग में शांतिपूर्वक  दो मिनट ध्यान करना चाहिए कि आज हमने कुछ वंडरफुल कार्य को किया।

 उपर्युक्त कथन आपको कैसा लगा आप अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव कमेंट करके हम तक जरूर पहुंचाएं।

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